बुधवार, 17 जून 2020

रोला छंद- श्री मोहन लाल वर्मा (1) *मजदूर* कतको बड़े पहाड़, टोरके सड़क बनाथँव ।महल-अटारी रोज, घलो मँय हा सिरजाथँव ।जिनगी के आनंद, मेहनत करके पाथँव ।कहलाथँव मजदूर, आरती श्रम के गाथँव ।।(2) *विनती*विनती हे भगवान, जनम लेके अब आजा।बढ़गे कलजुग पाप, दरश अपने दिखलाजा ।कइसे बचही जीव, रात-दिन संसो होथे।देख जगत के हाल, मोर अंतस बड़ रोथे ।।(3) *सग्यान बेटा-बेटी*दरपन मा मुख देख, देख के खुदे लजावँय ।आगू-पाछू रेंग, रेंग हाँसँय मुसकावँय ।काम-बुता ला छोड़, सजावँय सपना-पेटी ।होगे अब सग्यान, समझ जव बेटा-बेटी ।।बर बिहाव के गोठ, चलय जब घर मा भइया ।सुनँय सपट दे कान, करँय बड़ हड़बिड़ हइया।सुतँय नहीं भर नींद, रात मा जागत रहिथें।करदव मोर बिहाव, बतावव का उन कहिथें ।।बढ़िया दव संस्कार, सीख अब लइकामन ला।राखव बने सहेज, अपन कोरा के धन ला।पिँवरा करदव हाथ, देखके सुग्घर जोड़ी ।रहि जावय कुल मान, भले हो लागा- बोड़ी ।।बिगड़त हें औलाद, देखलव सरी जमाना ।पड़य कभू झन फेर, मूँड़ धरके पछताना ।मत छोड़व एकाँत , संग मा रहिके जानव।का हे उँकर सोच, भावना ला पहिचानव ।।समय-समय के बात, समय मा नीक सुहाथे ।आथे जभे बसंत, तभे आमा मउँराथे ।सोचव आज सियान, बात ला गुनलव-धरलव ।बाढ़य कुल मरजाद, काम गा अइसन करलव ।।(4) *मचही हाहाकार*मास जेठ-बैसाख, घाम हा चट ले जरही ।कतको जीव पियास, बाट मा लफलफ मरही ।मचही हाहाकार, बिना पानी के जग मा।अउ होही विकराल, समस्या आगू पग मा ।।(5) *अपन बिसाये दुख* मनखे मन हा आज, करत हावँय नादानी ।धरती माँ के चीर, करेजा चानी- चानी ।रुखराई ला काट, गवाँवत हावँय सुख ला।खुद बर अपने हाथ, बिसावत हावँय दुख ला।।(6) *मोबाइल उपयोग* मोबाइल उपयोग, बाढ़गे हावय अड़बड़ ।कतको होथे सेट, मामला कतको गड़बड़ ।बिखरत हे परिवार, बाढ़गे खर्चा घर-घर ।अउ का होही हाल, सोंच के देखव छिन भर ।।(7) *मनोरंजन अउ संदेश* फिल्मी गा संसार, मनोरंजन करवाथें ।कतको मनखे देख, सही वोला पतियाथें ।सबो सीन के अंत, छिपे संदेशा रहिथे ।सही-गलत पहिचान, करव तुम मोहन कहिथे ।।छंदकार- मोहन लाल वर्मा पता- ग्राम-अल्दा, पो.आ.-तुलसी (मानपुर), व्हाया- हिरमी, तहसील - तिल्दा,जिला-रायपुर (छत्तीसगढ़)पिन-493195मोबा.9617247078

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